कुछ वक्त का इंतज़ार और कर लो,
वक्त के फैसले हम बदल डालेंगे,
आज दुनिया भुला चुकी है हमें,
कल हम तुम्हें भुला देंगे।
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मुस्कुरा कर गम छिपाना ज़िन्दगी है,
हार कर फ़िर जुट जाना ज़िन्दगी है,
मेरा दिल टूट गया तो क्या हुआ,
सब के दिलों में बसना ज़िन्दगी है।
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देना चाहते हैं हँसी उनके लबों पे,
न जाने क्यों वो हमें आंसू दे जाते हैं,
कहते है सब हम दोस्त तुम्हारे,
न जाने क्यों बीच राह में अकेला छोड़ जाते हैं।
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वक्त के फैसले पे न जाने क्यों अफ़सोस होता है,
दिल कभी हँसता है, तो कभी रोता है,
यूं ही तनहा न गुज़र जाए ज़िन्दगी,
यह सोचकार अक्सर न जाने कहाँ खो जाता है।
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एक वक्त के बाद सब कुछ बदल जायेगा,
न जाने कौन कहाँ जायेगा,
रह जायेंगी कुछ निशानियाँ,
जिन्हें दिल उम्र भर न भूल पायेगा।
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अपने गम को ना बताना,
ये दुनिया बड़ी बेदर्द है,
हर गम को पी जाना,
न यह हमदर्द है न वो हमदर्द है।
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खुली हवां में साँस न लें पाओगे,
बंद कमरों में भी घबराओगे,
जो तुम करना चाहोगे अपना दीदार आईने में,
हमारें अश्को को तुम वहां पाओगे।
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गुमनामी के अन्धैरें में कुछ नाम खो जाते हैं,
कुछ लोग मिलकर बिछड़ जाते हैं,
भूलना चाहते हैं जिनको,
न जाने क्यों वो हमें अक्सर याद आतें हैं।
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समंदर की लहरे अक्सर निशाँ छोड़ जाती हैं,
महोब्बत हमसे अक्सर रूठ जाती हैं,
जीत ही जरुरी नही जिन्दगी में दोस्त,
हार भी कभी-कभी बहुत कुछ जाती हैं।
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तुम्हारे जाने के बाद जिन्दगी जैसे कोरे कागज़ सी रह गई हैं,
तुम्हारा साथ पाने की हर उम्मीद अधूरी रह गई हैं,
रही ना ताममान दिल में अब कोई,
जाने कहाँ वो दिलनशीं खो गई हैं।
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ये हवां ये फिजां खो गए तुम कहाँ,
न तुम यहाँ, न हम वहां,
बदल गया सारा जहाँ,
लौटोगे जब तुम कभी न जाने हम होंगे कहाँ।
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अपने अरमानो को आंसूओं में बह्ते देखा हैं,
तेरी रूह को मेरी रूह से जुदा होते देखा हैं,
वक्त नें भी क्या खूब सितम ढाया हम पर,
जिन्दगी को कटी पतन होते देखा हैं।
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हंस कर हर गम छिपा रहे हैं,
एक चहरे पे कई चहरे लगा रहे हैं,
बीती बातों को रखता हे कौन याद,
ख़ुद ही ना जाने क्यों अपने जख्मों को कुरेदे जा रहे हैं।
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वक्त के साथ सब-कुछ बदल जाता हैं,
जो हाथ छोड़ना ना चाहा वो ही छुट जाता हैं,
कहते हें ना चाहों तो भी प्यार हो ही जाता हें,
तनहा था दिल तनहा ही रह जाता हें।
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मुस्करा के फिर तुम यूँ उम्मीद न जगाओ,
हमसे दूर रह कर हमें यूँ न तड़पाओ,
दुश्मनी से तुम्हे मिलेगा क्या,
सिर्फ़ एक बार अपने प्यार का इज़हार कर जाओ।
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सच बोलने की सज़ा हमने पाई,
किस्मत में मिली हें कैसी जुदाई,
इस दिल से पूछो किस पल तेरी याद न आई,
तुझे सोचते-सोचते आज फिर आँख भर आई।
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दर्द से रिश्ता पुराना मेरा,
हरदम तकु मैं राह तेरा,
तुझ बिन क्या रात क्या सवेरा,
कितना अजीब हैं रिश्ता तेरा मेरा।
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पाके प्यार मैंने खो दिया,
आज फिर तकदीर नें मुझसे मुंह मोड़ लिया,
रह गया वीरानियों मे अकेला मैं,
न जाने क्यों उसने मेरा हाथ छोड़ दिया।
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वक्त के इस खेल मे तुम कुछ यूँ उलझ जाओगे,
जो मिलाना चाहोगे नज़रें किसी से तुम,
तुम बस हमें ही पाओगे,
रूठ जाऐगी हकीकत कुछ यूँ तुमसे,
चाहते हुए भी आँसू न बहा पाओगे।
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क्या हैं रिश्ता तेरा मेरा,
तुझ बिन क्या शाम क्या सवेरा,
बस छाया हैं हर तरफ़ सिर्फ़ अँधेरा,
काश होता हरदम साथ तेरा।
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सपने कितने हसीं होते हैं,
यहीं हैं वो जो दिल के सबसे करीब होतें हैं,
फिर भी न जाने क्यों ये गम देते हैं,
जिन्हें हम उम्र भर सहते हैं।
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साहिलों पे लाके वो हमें डूबा गए,
बस कुछ ही पल मे हम उनसे जुदा हो गए,
खड़े हैं आज हम उस मोड़ पर,
जहाँ सारे दोस्त और रकीब एक हो गए हैं।
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हर जगह दूंदा उसे, पर कोई चर्चा न मिला,
न कोई दोस्त मिला, न दुश्मन इस शहर में मुझे,
हर दरख्तों पे लिखी सिर्फ़ उसी की कहानी,
बहुत दूंदा पर पत्तों का साया भी न मिला।
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tutne ko to bahut kuch tut sakta hain,
chaahe to har afsaana humse ruth sakta hain,
kuch yun dekhi humne duniya ki haqeeqat,
ye waqt mausam ki tarah na jaane kabhi bhi badal sakta hai.
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वक्त के फैसले हम बदल डालेंगे,
आज दुनिया भुला चुकी है हमें,
कल हम तुम्हें भुला देंगे।
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मुस्कुरा कर गम छिपाना ज़िन्दगी है,
हार कर फ़िर जुट जाना ज़िन्दगी है,
मेरा दिल टूट गया तो क्या हुआ,
सब के दिलों में बसना ज़िन्दगी है।
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देना चाहते हैं हँसी उनके लबों पे,
न जाने क्यों वो हमें आंसू दे जाते हैं,
कहते है सब हम दोस्त तुम्हारे,
न जाने क्यों बीच राह में अकेला छोड़ जाते हैं।
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वक्त के फैसले पे न जाने क्यों अफ़सोस होता है,
दिल कभी हँसता है, तो कभी रोता है,
यूं ही तनहा न गुज़र जाए ज़िन्दगी,
यह सोचकार अक्सर न जाने कहाँ खो जाता है।
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एक वक्त के बाद सब कुछ बदल जायेगा,
न जाने कौन कहाँ जायेगा,
रह जायेंगी कुछ निशानियाँ,
जिन्हें दिल उम्र भर न भूल पायेगा।
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अपने गम को ना बताना,
ये दुनिया बड़ी बेदर्द है,
हर गम को पी जाना,
न यह हमदर्द है न वो हमदर्द है।
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खुली हवां में साँस न लें पाओगे,
बंद कमरों में भी घबराओगे,
जो तुम करना चाहोगे अपना दीदार आईने में,
हमारें अश्को को तुम वहां पाओगे।
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गुमनामी के अन्धैरें में कुछ नाम खो जाते हैं,
कुछ लोग मिलकर बिछड़ जाते हैं,
भूलना चाहते हैं जिनको,
न जाने क्यों वो हमें अक्सर याद आतें हैं।
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समंदर की लहरे अक्सर निशाँ छोड़ जाती हैं,
महोब्बत हमसे अक्सर रूठ जाती हैं,
जीत ही जरुरी नही जिन्दगी में दोस्त,
हार भी कभी-कभी बहुत कुछ जाती हैं।
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तुम्हारे जाने के बाद जिन्दगी जैसे कोरे कागज़ सी रह गई हैं,
तुम्हारा साथ पाने की हर उम्मीद अधूरी रह गई हैं,
रही ना ताममान दिल में अब कोई,
जाने कहाँ वो दिलनशीं खो गई हैं।
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ये हवां ये फिजां खो गए तुम कहाँ,
न तुम यहाँ, न हम वहां,
बदल गया सारा जहाँ,
लौटोगे जब तुम कभी न जाने हम होंगे कहाँ।
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अपने अरमानो को आंसूओं में बह्ते देखा हैं,
तेरी रूह को मेरी रूह से जुदा होते देखा हैं,
वक्त नें भी क्या खूब सितम ढाया हम पर,
जिन्दगी को कटी पतन होते देखा हैं।
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हंस कर हर गम छिपा रहे हैं,
एक चहरे पे कई चहरे लगा रहे हैं,
बीती बातों को रखता हे कौन याद,
ख़ुद ही ना जाने क्यों अपने जख्मों को कुरेदे जा रहे हैं।
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वक्त के साथ सब-कुछ बदल जाता हैं,
जो हाथ छोड़ना ना चाहा वो ही छुट जाता हैं,
कहते हें ना चाहों तो भी प्यार हो ही जाता हें,
तनहा था दिल तनहा ही रह जाता हें।
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मुस्करा के फिर तुम यूँ उम्मीद न जगाओ,
हमसे दूर रह कर हमें यूँ न तड़पाओ,
दुश्मनी से तुम्हे मिलेगा क्या,
सिर्फ़ एक बार अपने प्यार का इज़हार कर जाओ।
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सच बोलने की सज़ा हमने पाई,
किस्मत में मिली हें कैसी जुदाई,
इस दिल से पूछो किस पल तेरी याद न आई,
तुझे सोचते-सोचते आज फिर आँख भर आई।
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दर्द से रिश्ता पुराना मेरा,
हरदम तकु मैं राह तेरा,
तुझ बिन क्या रात क्या सवेरा,
कितना अजीब हैं रिश्ता तेरा मेरा।
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पाके प्यार मैंने खो दिया,
आज फिर तकदीर नें मुझसे मुंह मोड़ लिया,
रह गया वीरानियों मे अकेला मैं,
न जाने क्यों उसने मेरा हाथ छोड़ दिया।
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वक्त के इस खेल मे तुम कुछ यूँ उलझ जाओगे,
जो मिलाना चाहोगे नज़रें किसी से तुम,
तुम बस हमें ही पाओगे,
रूठ जाऐगी हकीकत कुछ यूँ तुमसे,
चाहते हुए भी आँसू न बहा पाओगे।
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क्या हैं रिश्ता तेरा मेरा,
तुझ बिन क्या शाम क्या सवेरा,
बस छाया हैं हर तरफ़ सिर्फ़ अँधेरा,
काश होता हरदम साथ तेरा।
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सपने कितने हसीं होते हैं,
यहीं हैं वो जो दिल के सबसे करीब होतें हैं,
फिर भी न जाने क्यों ये गम देते हैं,
जिन्हें हम उम्र भर सहते हैं।
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साहिलों पे लाके वो हमें डूबा गए,
बस कुछ ही पल मे हम उनसे जुदा हो गए,
खड़े हैं आज हम उस मोड़ पर,
जहाँ सारे दोस्त और रकीब एक हो गए हैं।
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हर जगह दूंदा उसे, पर कोई चर्चा न मिला,
न कोई दोस्त मिला, न दुश्मन इस शहर में मुझे,
हर दरख्तों पे लिखी सिर्फ़ उसी की कहानी,
बहुत दूंदा पर पत्तों का साया भी न मिला।
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tutne ko to bahut kuch tut sakta hain,
chaahe to har afsaana humse ruth sakta hain,
kuch yun dekhi humne duniya ki haqeeqat,
ye waqt mausam ki tarah na jaane kabhi bhi badal sakta hai.
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