मुकद्दर का सिकंदर हूँ

मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


चलना हैं नयी उमंग नए होंसले के साथ,
मुझको सबसे आगे जाना हैं,
छूना हैं आसमां की ऊँचाइयो को,
नापना हैं समंदर की घहराइओ को,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


पीना हैं हर हार के घुट को,
हार कर भी मुझे जितना हैं,
अमावस्या की काली रात को,
पूर्ण चंद्रमा की चांदनी से महकना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


चुराने हैं मुझको आंसू सबकी आँखों से,
देनी हैं हंसी सब के लबों पे,
हर ग़म दिल मैं छुपा कर,
दर्द मैं भी मुस्कराना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


करने हैं सपने पूरे किसी के,
किसी के विश्वास को मुझको निभाना हैं,
जितना हैं मुझको
दुनिया को अपना बनाना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


अस्त हो कर भी सितारे बन कर आसमान मैं चमकना हैं,
नयी सुबह की पहली किरण का स्वागत मुझे करना हे,
पतझड़ मैं पत्ते गिरा के सूरज की गर्मी से धरती को तपने से बचाना हैं,
बसंत की मधुर बयारों से धरती को महकाना हे,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


-
Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2008

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