आंखों का काज़ल पीला-पीला क्यूँ हैं.....

कहते हे वो हमसे बिछड़ के खुश हैं,
तो फिर आंखों का काज़ल पीला-पीला क्यूँ हैं,
कहते हैं बेइंतहाँ मोहब्बत नही हमसे,
तो फिर उनकी आवाज़ में दर्द का एहसास क्यूँ हैं,
वक्त नही हैं अब उनके पास,
तो फिर मेरा इंतज़ार क्यूँ हैं,
नहीं आती हैं उन्हे हमारी याद,
तो फिर उनके चहरे पे सिलवटे क्यूँ हैं,
कोसों दूर हैं वो हमसे, ओर कहेते हैं वो आज फिर इतना तन्हां क्यूँ हैं।







Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2009

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