आंखों का काज़ल पीला-पीला क्यूँ हैं.....

कहते हे वो हमसे बिछड़ के खुश हैं,
तो फिर आंखों का काज़ल पीला-पीला क्यूँ हैं,
कहते हैं बेइंतहाँ मोहब्बत नही हमसे,
तो फिर उनकी आवाज़ में दर्द का एहसास क्यूँ हैं,
वक्त नही हैं अब उनके पास,
तो फिर मेरा इंतज़ार क्यूँ हैं,
नहीं आती हैं उन्हे हमारी याद,
तो फिर उनके चहरे पे सिलवटे क्यूँ हैं,
कोसों दूर हैं वो हमसे, ओर कहेते हैं वो आज फिर इतना तन्हां क्यूँ हैं।







Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2009

Give Me Break

Some people get not deserve for that,
Some people deserve for that, that they never get.
Today I am so sad,
Why are you so mad?
Do not have blind faith,
I do not know why she hates me?
Do not love so depth,
Otherwise you get just wait.
Let's play check-n-mate,
I forget what I read .
Oh God! again traffic jam,
Hey! there is rain.
What are you looking man,
Eat bread with jam.
This world is faked,
Always go ahead.
Wow! What a beautiful lake,
That wall has crack.
Just use a jack,
Why your face turned red,
I want to eat chocolate cake,
Why you are not baked.
Oh! No what I said,
Give me a break........

--
Aashish Bhanawat
@All right reserved 2007

यादें होगी................

हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी।

होगी खड़ी किसी न किसी कोने में हमारी परछाईया,
शायद कोई आवाज़ गाह्हे-बगाहे होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी।

मंजिलो पर पहुचने का जश्न हमारा,
शायद भीड़ में एक तेरी पहचान होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी।

कह रही हैं हमारी हर साँस तुजसे,
शायद वक्त से सिर्फ़ तेरी ही कहानी बयान होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी।

लबों पे होगा बस नाम तेरा,
शायद तुजसे दुनिया हैरान होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी।

होगी तेरी यादें साथ जिन्दगी की हर रह पर,
शायद वो रौशनी भी क्या खूब रौशनी होगी,
हम न होंगे, पर हमारी यादें होगी,
शायद आंखों से रिम-झिम रिम-झिम बरसाते होगी।


--
Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2007




यूँ आंखों से......

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यूँ आंखों से हकीकत बयां न करो,
तनहा हे बहुत, अब और तनहा न करो,
फिज़ाओं मे रुक्सां हे रंग मोहब्बत के,
यूँ ही मुझसे कभी तो रूठा करो।

होठों को चूमती लटों को यूँ न हटाया करो,
कुछ ज़ख्म हरे हे अभी भी,
हर वादा यूँ न निभाया करो,
तनहा हे बहुत, अब और तनहा न करो।

मुस्करा के यूँ न दिल-ऐ-नसीब बदला करो,
तलब हे मुझे दर्दे-ऐ-उल्फत की,
यूँ न मेरा इंतज़ार किया करो,
तनहा हे बहुत, अब और तनहा न करो।

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Phonetic script:-

Yun aankhon se haqeeqat bayan na karo,
Tanaha hey bahut, ab aur tanaha na karo,
Phizaaon mein ruksaan hey rang mohabbata key,
Yun hi mujhase kabhi to rutha karo.

Hothon ko chumti laṭon ko yun na haṭaaya karo,
Kuch zakhm hare hey abhi bhi,
Har vaada yun na nibhaaya karo,
Tanaha hey bahut, ab aur tanaha na karo.

Muskara key yun na dil-e-naseeb badala karo,
Talab hey mujhe darde-e-ulphat ki,
Yun na mera intazaar kiya karo,
Tanaha hey bahut, ab aur tanaha na karo. 
 
--
Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2009

मेरे मौला

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बहुत हंस चुका हूँ मै मौला ,
फिर से गम का कोई सागर दे मौला,
आंखों के इस बंजरपन को,
फिर अश्को की बारिश दे मौला।

बहुत हमदर्द हे इस शहर मै मेरे,
फिर से सुच-मुच की कोई ओर सज़ा दे मौला,
खाव्बों की मेरी दुनिया को,
फिर से हकीकत का अहसास दे मौला।

हर ज़ख्म भर चुका मेरा,
फिर से कोई नया दर्द दे मौला।
रोशन हे जिन्दगी की हर रह मेरी,
फिर से कोई तनहा अतीत दे मौला।

हर दुआ कबूल हुई मेरी,
फिर से कोई इंतज़ार दे मेरे मौला,
आंखों के इस बंजरपन को,
फिर अश्को की बारिश दे मौला।





Bahuta hansa chuka hoon main maula,
Phira se gum ka koi sagar de maula,
aanhon ke iss banjarapana ko,
Phira askhon ki baarish de maula.


Bahut humdard hey iss shahar main mere,
Phira se such-much ki koi aur sazaa de maula,
Khawbon ki meri duniya ko,
Phira se haqeeqt ka ahsaas de maula.


Haa zakhm bhar chuka mera,
Phira se koi naya dard de maula.
Roshan hey jindagi ki har raah meri,
Phira se koi tanaha atit de maula.


Har dua kabul hui merri 
Phira se koi intazaar de mere maula, 
Aankhon ke iss banjarpan ko,
Phir ashkon ki baarish de maula.



--

Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2008

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कुछ वक्त का इंतज़ार और कर लो,
वक्त के फैसले हम बदल डालेंगे,
आज दुनिया भुला चुकी है हमें,
कल हम तुम्हें भुला देंगे।

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मुस्कुरा कर गम छिपाना ज़िन्दगी है,
हार कर फ़िर जुट जाना ज़िन्दगी है,
मेरा दिल टूट गया तो क्या हुआ,
सब के दिलों में बसना ज़िन्दगी है।
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देना चाहते हैं हँसी उनके लबों पे,
न जाने क्यों वो हमें आंसू दे जाते हैं,
कहते है सब हम दोस्त तुम्हारे,
न जाने क्यों बीच राह में अकेला छोड़ जाते हैं।
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वक्त के फैसले पे न जाने क्यों अफ़सोस होता है,
दिल कभी हँसता है, तो कभी रोता है,
यूं ही तनहा न गुज़र जाए ज़िन्दगी,
यह सोचकार अक्सर न जाने कहाँ खो जाता है।
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एक वक्त के बाद सब कुछ बदल जायेगा,
न जाने कौन कहाँ जायेगा,
रह जायेंगी कुछ निशानियाँ,
जिन्हें दिल उम्र भर न भूल पायेगा।


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अपने गम को ना बताना,
ये दुनिया बड़ी बेदर्द है,
हर गम को पी जाना,
न यह हमदर्द है न वो हमदर्द है।

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खुली हवां में साँस न लें पाओगे,
बंद कमरों में भी घबराओगे,
जो तुम करना चाहोगे अपना दीदार आईने में,
हमारें अश्को को तुम वहां पाओगे।
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गुमनामी के अन्धैरें में कुछ नाम खो जाते हैं,
कुछ लोग मिलकर बिछड़ जाते हैं,
भूलना चाहते हैं जिनको,
न जाने क्यों वो हमें अक्सर याद आतें हैं।
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समंदर की लहरे अक्सर निशाँ छोड़ जाती हैं,
महोब्बत हमसे अक्सर रूठ जाती हैं,
जीत ही जरुरी नही जिन्दगी में दोस्त,
हार भी कभी-कभी बहुत कुछ जाती हैं।
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तुम्हारे जाने के बाद जिन्दगी जैसे कोरे कागज़ सी रह गई हैं,
तुम्हारा साथ पाने की हर उम्मीद अधूरी रह गई हैं,
रही ना ताममान दिल में अब कोई,
जाने कहाँ वो दिलनशीं खो गई हैं।
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ये हवां ये फिजां खो गए तुम कहाँ,
न तुम यहाँ, न हम वहां,
बदल गया सारा जहाँ,
लौटोगे जब तुम कभी न जाने हम होंगे कहाँ।
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अपने अरमानो को आंसूओं में बह्ते देखा हैं,
तेरी रूह को मेरी रूह से जुदा होते देखा हैं,
वक्त नें भी क्या खूब सितम ढाया हम पर,
जिन्दगी को कटी पतन होते देखा हैं।
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हंस कर हर गम छिपा रहे हैं,
एक चहरे पे कई चहरे लगा रहे हैं,
बीती बातों को रखता हे कौन याद,
ख़ुद ही ना जाने क्यों अपने जख्मों को कुरेदे जा रहे हैं।
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वक्त के साथ सब-कुछ बदल जाता हैं,
जो हाथ छोड़ना ना चाहा वो ही छुट जाता हैं,
कहते हें ना चाहों तो भी प्यार हो ही जाता हें,
तनहा था दिल तनहा ही रह जाता हें।
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मुस्करा के फिर तुम यूँ उम्मीद न जगाओ,
हमसे दूर रह कर हमें यूँ न तड़पाओ,
दुश्मनी से तुम्हे मिलेगा क्या,
सिर्फ़ एक बार अपने प्यार का इज़हार कर जाओ।
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सच बोलने की सज़ा हमने पाई,
किस्मत में मिली हें कैसी जुदाई,
इस दिल से पूछो किस पल तेरी याद न आई,
तुझे सोचते-सोचते आज फिर आँख भर आई।
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दर्द से रिश्ता पुराना मेरा,
हरदम तकु मैं राह तेरा,
तुझ बिन क्या रात क्या सवेरा,
कितना अजीब हैं रिश्ता तेरा मेरा।

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पाके प्यार मैंने खो दिया,
आज फिर तकदीर नें मुझसे मुंह मोड़ लिया,
रह गया वीरानियों मे अकेला मैं,
न जाने क्यों उसने मेरा हाथ छोड़ दिया।
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वक्त के इस खेल मे तुम कुछ यूँ उलझ जाओगे,
जो मिलाना चाहोगे नज़रें किसी से तुम,
तुम बस हमें ही पाओगे,
रूठ जाऐगी हकीकत कुछ यूँ तुमसे,
चाहते हुए भी आँसू न बहा पाओगे।
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क्या हैं रिश्ता तेरा मेरा,
तुझ बिन क्या शाम क्या सवेरा,
बस छाया हैं हर तरफ़ सिर्फ़ अँधेरा,
काश होता हरदम साथ तेरा।
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सपने कितने हसीं होते हैं,
यहीं हैं वो जो दिल के सबसे करीब होतें हैं,
फिर भी न जाने क्यों ये गम देते हैं,
जिन्हें हम उम्र भर सहते हैं।
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साहिलों पे लाके वो हमें डूबा गए,
बस कुछ ही पल मे हम उनसे जुदा हो गए,
खड़े हैं आज हम उस मोड़ पर,
जहाँ सारे दोस्त और रकीब एक हो गए हैं।
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हर जगह दूंदा उसे, पर कोई चर्चा न मिला,
न कोई दोस्त मिला, न दुश्मन इस शहर में मुझे,
हर दरख्तों पे लिखी सिर्फ़ उसी की कहानी,
बहुत दूंदा पर पत्तों का साया भी न मिला।
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tutne ko to bahut kuch tut sakta hain,
chaahe to har afsaana humse ruth sakta hain,
kuch yun dekhi humne duniya ki haqeeqat,
ye waqt mausam ki tarah na jaane kabhi bhi badal sakta hai.

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आज एक भ्रम तो टुटा.....

अच्छा हुआ जो आज एक भ्रम तो टूटा,
कोई बात नही एक दिल ही टूटा।
अच्छा हुआ जो आज एक भ्रम तो टूटा।

क्यों पीछा छुडाऊं मे तन्हाई से ,
जब मेरा अतीत ही तनहा बीता।
अच्छा हुआ जो आज एक भ्रम तो टूटा,
कोई बात नही एक दिल ही टूटा।

करता हु तेरी तस्वीर से बातें,
अब तो मेरा नसीब ही रूठा।
कोई बात नही एक दिल ही टूटा,
अच्छा हुआ जो आज एक भ्रम तो टूटा ,
कोई बात नही एक दिल ही टूटा।


--
Aashish "Joy Madhukaran"
March 19 2005

अपना गम..

हमें ना वफ़ा मिली, ना बेवफाई मिली,
हम अपना गम जताए भी कैसे,
हाथों की लकीरों का लिखा मिटायें भी तो कैसे,
जो हाथ छूट गया वो भुलाएं भी कैसे,
दिल मे हे गम, लबों पेय हँसी लाये भी तो कैसे,
बेवक्त हो जाती हे आँखें नम छुपायें भी तो कैसे,
अकेलेपन से लगता हे खौफ्फ़ मुझको, नए दोस्त बनाएं भी तो कैसे!!


--
Aashish "Joy Madhukaran"
Aug 29 2006

मुकद्दर का सिकंदर हूँ

मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


चलना हैं नयी उमंग नए होंसले के साथ,
मुझको सबसे आगे जाना हैं,
छूना हैं आसमां की ऊँचाइयो को,
नापना हैं समंदर की घहराइओ को,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


पीना हैं हर हार के घुट को,
हार कर भी मुझे जितना हैं,
अमावस्या की काली रात को,
पूर्ण चंद्रमा की चांदनी से महकना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


चुराने हैं मुझको आंसू सबकी आँखों से,
देनी हैं हंसी सब के लबों पे,
हर ग़म दिल मैं छुपा कर,
दर्द मैं भी मुस्कराना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


करने हैं सपने पूरे किसी के,
किसी के विश्वास को मुझको निभाना हैं,
जितना हैं मुझको
दुनिया को अपना बनाना हैं,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


अस्त हो कर भी सितारे बन कर आसमान मैं चमकना हैं,
नयी सुबह की पहली किरण का स्वागत मुझे करना हे,
पतझड़ मैं पत्ते गिरा के सूरज की गर्मी से धरती को तपने से बचाना हैं,
बसंत की मधुर बयारों से धरती को महकाना हे,
मुकदर का सिकंदर हूँ,
मर कर मुझे जीना हैं,
मुझे हर पल चलते रहना हैं।


-
Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2008

बस स्टाप पे खड़ी वो लड़की

(Note:- 1. Non-Hindi friends please scroll down for phonetic script :)
2. Don't forget to post critics/comments below.
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 "बस स्टाप पे खड़ी वो लड़की"

बस स्टाप पे खड़ी वो मासूम सी, प्यारी सी लड़की
कुछ ङरी-ङरी सी, कुछ सहेमी-सहेमी सी वो सीदी-सादी सी लड़की,
कभी घड़ी मे वक्त देखती, तो कभी आसमां से बाते करती
वो मासूम सी, वो प्यारी सी लड़की

कभी मुंह बिगाड़ती, तो कभी यूँ ही मुस्करा देती
चुप-चुप सी रहती, फिर भी सब कुछ कह जाती,
वो कुछ ङरी-ङरी, कुछ सहमी-सहमी सी लड़की
कभी बस के पीछे भागती, तो कभी बस की भीड़ हो देख कर घबरा जाती
दुनिया की भीड़ मे अपना अलग सा रास्ता बनाती
वो मासूम सी प्यारी सी लड़की,

अब न वो राहें रही, न ही वो बातें रही
फिर भी याद हे बस स्टाप पे खड़ी वो मासूम सी, प्यारी सी लड़की
कुछ डरी-डरी, कुछ सहेमी-सहेमी सी वो सीदी-सादी लड़की.




Phonetic script:-

"Bus-Stop Pe Khadi Wo Ladki"


Bus-sṭop pe khadi woh maasoom si, pyari si ladki,
Kuch dari-dari si, kuch sahemi-sahemi si woh sidhi-sadhi si ladki,
Kabhi ghadi main waqt dekhati, toh kabhi aasamaan se baatain karati,
woh maasoom si, woh pyaari si ladki.

Kabhi munh bigaadti, toh kabhi yun hi muskara deti,
Chup-chaap si rahati, phir bhi sab kuch kah jaati,
Woh kuch dari-dari, kuch sahami-sahami si ladki

Kabhi bus ke piche bhaagati,
Toh kabhi bus ki bhid ko dekh kar ghabaraa jaati,
Duniya ki bhid mey apana alag sa raasta banati,
Woh maasoom si, woh pyari si ladki,

Ab naa woh raahain rahi, naa hi woh baatain rahi,
Phir bhi yaad hain bus sṭop pe khadi woh maasoom si, pyaari si ladki
Kuch ḍari-ḍari, kuch sahemi-sahemi si woh sidhi-sadhi ladki.



Aashish "Joy Madhukaran"
@All right reserved 2009

I Hope

I hope now everything will be fine,
Once again sun will shine,
I can be enjoy next lovely morning with chilling wind,
I hope now everything will be fine.

Once again I will be hear bird’s melodious song,
I can be share smile with all roses and blossom,
I hope now everything will be fine,
Once again sun will shine.

Once again I will be hug by trees,
I can be kiss each and every leaves,
I hope now everything will be fine,
Once again sun will shine.

Once again I will be play music of the rain drops,
I can be enjoy rhythm of rainbow,
I hope now everything will be fine,
Once again sun will shine.

Once again I will be laugh with moon in night,
I can be write stories on each and every star,
I hope now everything will be fine,
Once again sun will shine.


-Aashish "Joy Madhukaran"
 @All right reserved 2008